- June 25, 2009
- Posted by: Mehboob Desai
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प्रिय शाहरुख़ खान,
अस्स्लामुअल्याका.
कई दिनो से आपको ख़त लिखने का विचार दिल मे लिए फिर रहा था. लेकिन हर बार यही सोच कर कलम रख देता था की आप शायद मेरे जैसे प्रोफेसर को जवाब देने का वक्त निकाल न सके. आज फिर से कलम ने लिखेनेका तकाजा किया. इसलिए दिल को यह कहकर मनाया की आप जवाब दे या न दे, वो आपका काम है. अपनी बात आपसे करनी चाहिए.
इस पत्र के साथ मेरी एक ताज़ा किताब ” इस्लाम एंड नॉन वायोलेंस” (इस्लाम और अहिंसा) भेज रहा हुं. आज दुनिया भर मैं इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम किया जा रहा है. इस किताबमै मे ने उस बात का “कुरान-इ-शरीफ ” की आयते , मोहम्मद पयगम्बर साहब और औल्याओ की जीवनकथोओ द्वारा खंडन किया है.
आशा है आपको किताब पसंद आएगी. अगर आपको किताब जरा भी पसंद आये , तो ज़रुर आपकी राई भेजने की जेहमत करे. आपकी राई मेरे लिए अमूल्य होगी. एक और गुज़ारिश है मूजेतो फ़िल्मी दुनिया से कम लगाव है , लेकिन मेरी बेटी करिश्मा जो ऍम बी ऐ कर रही है वो आपकी बड़ी फेन है. ख़त मैं आप एक लाइन उसके बारे मैं भी लिख देंगे तो मैं बड़ा शुक्रगुज़ार रहूँ गा.
आशा है आप जवाब देने की जेहमत लेंगे.
अल्लाह हाफ़िज़
आपका
प्रोफेसर महेबूब देसाई